कलयुग में तो राम मंदिर के बनने पर राजनीति है।
ये कैसी श्रद्धा है तुम्हारी प्रभु से
जिसमें तुम्हारी तरफ से .......
प्रभु की स्वागत कि जगह,
केवल विरोध की ही तैयारी है।
जिसकी थी अस्तित्व महल पर
विराजमान उन्हें तो होना ही था,
वर्षों का था संघर्ष उसे.....🙏
आख़िर फल तो मिलना ही था।
राजनीति खेल रहे थे जब तुम,
पूरा विश्व राममय में डूबा था
प्रभु सिंहासन पर विराज रहे थे,
तब भी सब छोड़ कहा तुम अरे नास्तिको
प्रभु के चरणों में अपनी सद्बुद्धि मांग रहे थे।
हार जीत का खेल नहीं,
कोई पांच वर्षों की राजनीति ना थी,
पानसौ वर्षों का इंतजार था ये,
आस्थाओं की अद्भुत प्रीती थी।
सौभाग्य हैं हम कलयुग वासी का की
ये नेत्र हमारे चरण सुख पाए हैं
यही खुशी को तरस कर चले गए
हमारे पूर्वजों के कई काय हैं।
भई कृपा की भय प्रकट कृपाला,
नेत्र नयन सुख पा गए हैं ,
विरोधियों की ठठरी बर गईं ,
मेरे राम प्रभु घर आ गए हैं,
मेरे राम प्रभु घर आ गए हैं 🙏
जय श्री राम 🙏
प्रीति कुमारी
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