तलाक़ एक शब्द नहीं

रिश्ता निभाते निभाते घुट घुट कर सहते सहते
कोई लड़की मूरत बन जाती हैं तो कोई जल जाती हैं।


खुदा की दया से जो बच जाती हैं
उसकी रिश्ते की आख़िरी उम्मीद ख़तम होने पर होती हैं
तब होती हैं तलाक़ 🥺🥺😔

फिर भी समाज की ठेकेदार कुछ औरतों को चैन नहीं मिलता, 
एक औरत ही दूसरे औरत में कमी निकालती हैं,
इसी की गलती होगी बोल बोल कर उसे तिल तिल 
मारती हैं।

औरतों का साथ कोई नहीं देता साहब
उसे ख़ुद के हक की लड़ाई ख़ुद ही लड़नी पड़ती हैं
जो ख़ुद के लिए लड़ती हैं वहीं कही पहुंचती हैं...
जो समाज से डरती हैं वो घुट घुट के दब दब के मरती हैं
 😔
प्रीति कुमारी 

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